योग को केवल कसरत भर मान लेना ठीक नही है यह ऐसी क्रिया है जिसे करने से हमारे शरीर और मस्तिष्क का पुनरूद्धार यानी नवीनीकरण होता है। हमारे शरीन में नई चेतना जाग्रत होती है। आज हम आपको ऐसे ही एक योग के बारे में बताने जा रहें है जिसे योग निद्रा कहते हैं।
योग निद्रा का अर्थ है ‘आध्यात्मिक नींद’, यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना होता है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योग निद्रा। इसे स्वप्न और जागरण के बीच की स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है। माना जाता है कि देवता इसी निद्रा में सोते हैं।
1.योग निद्रा खुले वातावरण में कीजिए, यदि किसी बंद कमरे में करते हैं तो उसके दरवाजे, खिड़कियां खुले रहने चाहिए। ढीले कपड़े पहनकर शवासन करें। जमीन पर दरी बिछाकर उस पर एक कंबल बिछाएं। दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों, हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो। आंखें बंद रहें।
2.शरीर को स्थिर रखें, ध्यान लगाएं लेकिन सोएं नहीं। यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है, विचारों से जूझना नहीं है। अपने शरीर व मन-मस्तिष्क को शिथिल होने दीजिए। सिर से पांव तक पूरे शरीर को शिथिल कर दीजिए। पूरी सांस लीजिए और छोड़िए। अब कल्पना करें कि आप समुद्र के किनारे लेटकर योग निद्रा कर रहे हैं। आप के हाथ, पांव, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूँ।
3.योग निद्रा में अच्छे कार्यों के लिए संकल्प लिया जाता है। बुरी आदतें छुड़ाने के लिए भी संकल्प ले सकते हैं। योग निद्रा में किया गया संकल्प बहुत ही शक्तिशाली होता है। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा। अब अपने इष्टदेव का ध्यान करें और मन में संकल्प 3 बार बोलें।
4. अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों (76 अंगों) पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पांव की सभी अंगुलियां कम से कम पांव का तलवा, एड़ी, पिण्डली, घुटना, जांध, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है। इसी तरह बाया पैर भी शिथिल करें। सहज साँस लें व छोड़ें। इससे समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में आ रही है व गंदी वायु बाहर जा रही है।
योग निद्रा के फायदे
योग की अलग-अलग मुद्राएं और आसन के बाद शरीर को शांत करता है और उसे वापस सामान्य तापमान में लेकर आता है। तंत्रिका तंत्र को क्रियाशील बनाता है और शरीर को सक्षम करता है कि वह योग के असर को आत्मसात कर सके। विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालता है। इसके अलावा योग निद्रा से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय रोग, सिरदर्द, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभ मिलता है।