Facebook Twitter Instagram
    jiohind.com jiohind.com
    • Biography
    • Fitness Sutra
    • Interesting Facts
    • LifeStyle
    • Motivational
    • Travel
    jiohind.com jiohind.com
    Home»Biography»अहिल्याबाई होलकर की जीवनी – Ahilyabai Holkar Biography
    Biography

    अहिल्याबाई होलकर की जीवनी – Ahilyabai Holkar Biography

    June 26, 2019Updated:July 7, 2021
    Facebook WhatsApp
    Ahilyabai-Holkar
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp

    अहिल्याबाई होलकर का जीवन परिचय  – Ahilyabai Holkar Biography 

    Ahilyabai Holkar Information in Hindi – अहिल्याबाई होलकर का जीवन परिचय में जानिए उनके (Ahilyabai Holkar Biography in Hindi) संघर्ष से की मृत्यु (Ahilyabai Holkar History in Hindi) तक की पूरी जानकारी.

    Ahilyabai Holkar – अहिल्याबाई होलकर

    एक महान शासक ही नहीं, बल्कि एक वीर योद्धा एवं मशहूर तीरंदाज भी थी, जिन्होंने कई युद्दों में एक साहसी योद्धा की तरह सूझबूझ के साथ अपना नेतृत्व किया और विजय हासिल की।

    इसके साथ ही उन शासकों में से एक थी, जो अपने प्रांत की रक्षा और अन्याय के खिलाफ आक्रमण के लिए हमेशा तैयार रहती थी। मालवा प्रांत की महारानी अहिल्याबाई होलकर की पहचान राजमाता अहिल्यादेवी होलकर के रुप में थी, उनके अद्भुत साहस और अदम्य प्रतिभा को देख कर बड़े-बड़े महाराजा एवं प्रभावशाली शासक भी आश्चर्यचकित्र रह जाते थे।

    यह भी पढ़े – 

    • कबीर दास की जीवनी – Kabir Das Biography In Hindi
    • महात्मा गांधी की जीवनी – Mahatma Gandhi Biography in Hindi
    • स्वामी विवेकानंद के सुविचार – Swami Vivekananda Quotes & Thoughts In Hindi

    तो आइए जानते हैं इस महान मराठा प्रांत महारानी अहिल्याबाई होलकर के बारे में –

    ईश्वर ने मुझ पर जो उत्तरदायित्व रखा है,
    उसे मुझे निभाना है.
    मेरा काम प्रजा को सुखी रखना है.
    मैं अपने प्रत्येक काम के लिये जिम्मेदार हूँ.
    सामर्थ्य और सत्ता के बल पर मैं यहाँ- जो कुछ भी कर रही हूँ.
    उसका ईश्वर के यहाँ मुझे जवाब देना होगा.
    मेरा यहाँ कुछ भी नहीं हैं, जिसका है उसी के पास भेजती हूँ.
    जो कुछ लेती हूँ, वह मेरे उपर कर्जा है,
    न जाने कैसे चुका पाऊँगी.

    – अहिल्याबाई होलकर

    अहिल्याबाई होलकर – Ahilyabai Holkar Information

    पूरा नाम (Name) अहिल्याबाई साहिबा होलकर (Ahilyabai Holkar)
    जन्म (Birthday) 31 मई, 1725 ईं.
    जन्म स्थान (Birthplace) चौंडी गांव, जामखेड़, अहमदनगर, महाराष्ट्र, भारत
    पति (Husband Name) खांडेराव होलकर
    पिता (Father Name) मानकोजी शिंदे
    बच्चे (Children Name) मालेराव (बेटा) और मुक्ताबाई (बेटी)
    निधन (Death) 13 अगस्त सन् 1795

    अहिल्याबाई का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा – Ahilyabai Holkar Biography

    एक कुशल, बहादुर शासक एवं मराठा प्रांत की महारानी अहिल्याबाई होलकर 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के जामखेड़ जिले के एक छोटे से गांव चौंडी में जन्मी थीं।

    अहिल्याबाई, चौंडी गांव के पाटिल मंकोजी राव शिंदे एवं सुशीला बाई की लाडली संतान थी। उनके पिता महिला शिक्षा के पक्षधर थे, वहीं जिस समय महिलाओं को घर के बाहर जाने की भी इजाजत नहीं थी, उस समय अहिल्याबाई के पिता मंकोजी राव ने उन्हें शिक्षा ग्रहण करवाई। अहिल्याबाई ने ज्यादातर शिक्षा अपने पिता से घर पर ही ग्रहण की थी।

    वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी महिला थी, जो कि किसी भी विषय को बेहद जल्दी समझ जाती थी और आगे चलकर उन्होंने अपने अद्भुत साहस एवं विलक्षण प्रतिभा से सबको हैरान कर दिया था।

    तमाम कठिनाईयों को झेलने के बाद भी अहिल्याबाई होलकर कभी भी अपनी मार्ग से विचलित नहीं हुई और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफलता हासिल की। इसलिए बाद में वे पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनी।

    महारानी अहिल्याबाई होलकर का विवाह एवं बच्चे – Ahilyabai Holkar Ki Jankari

    महारानी अहिल्याबाई के अंदर दया, परोपकार, प्रेम और सेवा भाव की भावना बचपन से ही निहित थी। वहीं एक बार जब वे भूखों और गरीबों को खाना खिला रही थीं, तभी पुणे जा रहे मालवा राज के शासक मल्हार राव होलकर आराम के लिए चोंडी गांव में ठहरे और उनकी नजर इस छोटी सी उदार बच्ची पर पड़ी।

    अहिल्याबाई की दया और निष्ठा को देखकर महाराज मल्हार राव होलकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने महारानी अहिल्याबाई होलकर के पिता मानकोजी शिंदे से अपने बेटे खांडेराव होलकर का विवाह उनसे करने का प्रस्ताव रखा।

    साल 1733 में जब अहिल्याबाई होलकर महज 8 साल की थी, तो बालविवाह प्रथा के प्रचलन के मुताबिक उनकी शादी खांडेराव होलकर के साथ करवा दी गई। इस तरह महारानी अहिल्याबाई कच्ची उम्र में ही मराठा समुदाय के प्रसिद्ध होलकर राजघराने की बहु बन गईं।

    शादी के कुछ सालों बाद अहिल्याबाई और खांडेराव होलकर  को साल 1745 में  मालेराव नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई और इसके तीन साल के बाद सन् 1748 में मुक्ताबाई नाम की सुंदर पुत्री पैदा हुई। अहिल्याबाई, अपने पति की राजकाज में मद्द करती थी, साथ ही उनके युद्ध एवं सैन्य कौशल को निखारने के लिए  प्रोत्साहित भी किया करती था।

    महाराज मल्हारराव अपनी पुत्र वधु अहिल्याबाई को भी राजकाज के सैन्य एवं प्रशासनिक मामलों की शिक्षा देते रहते थे और अहिल्याबाई की अद्बुत प्रतिभा को देखकर वे बेहद खुश होते थे।

    महारानी अहिल्याबाई के जीवन के संघर्ष और कठिनाई – Ahilyabai Holkar in Hindi

    अहिल्याबाई की जिंदगी सुख और शांति से कट रही थी, तभी उनके जीवन में दुखों का पहाड़ टूट गया। साल 1754 में जब अहिल्याबाई होलकर महज 21 साल की थी, तभी उनके पति खांडेराव होलकर कुंभेर के युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए।

    इतिहासकारों के मुताबिक अपने पति से अत्याधिक प्रेम करने वाली अहिल्याबाई ने अपनी पति की मौत के बाद सती होने का फैसला लिया, लेकिन पिता समान ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।

    इसके बाद सन् 1766 में मल्हार राव होलकर भी दुनिया छोड़कर चले गए, जिससे अहिल्याबाई काफी आहत हुईं, लेकिन फिर भी वे हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद मालवा प्रांत की बागडोर अहिल्याबाई के कुशल नेतृत्व में उनके पुत्र मालेराव होलकर ने संभाली।

    शासन संभालने के कुछ दिनों बाद ही साल 1767 में उनके जवान पुत्र मालेराव की भी मृत्यु हो गई। पति, जवान पुत्र और पिता समान ससुर को खोने के बाद भी उन्होंने जिस तरह साहस से काम किया, वो सराहनीय है।

    एक महान योद्धा, कुशल राजनीतिज्ञ एवं प्रभावशाली शासक के रुप में महारानी अहिल्याबाई – Ahilyabai Holkar In Hindi

    Ahilyabai Holkar अहिल्याबाई की जिंदगी में मुसीबतों का पहाड़ टूटने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी एवं इसका प्रभाव उन्होंने अपनी प्रजा पर नहीं पड़ने दिया और ताश के पत्तों की तरह बिखरते अपने मालवा प्रांत को देखते हुए, उन्होंने यहां का उत्तराधिकारी बनने का फैसला लिया और इसके लिए उन्होंने पेशवाओं के सामने याचिका दायर की। इसके बाद 11 दिसंबर साल 1767 में वे मालवा प्रांत की शासक बनीं।

    हालांकि, उनके शासक बनने से राज्य के कई लोगों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन धीरे-धीरे महारानी अहिल्या बाई की अद्भुत शक्ति और पराक्रम को देखकर उनके राज्य की प्रजा उन पर भरोसा करने लगी।

    इतिहास की सबसे वीर एवं कुशल योद्धाओं में से एक महारानी अहिल्याबाई ने मालवा प्रांत की शासक बनने के बाद मल्हार राव के दत्तक पुत्र एवं सबसे भरोसेमंद सेनानी सूबेदार तुकोजीराव होलकर को अपना सैन्य कमांडर नियुक्त किया।

    अपने शासन के दौरान महारानी अहिल्याबाई ने कई बार युद्ध में अपनी प्रभावशाली रणनीति से सेना का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया। अहिल्याबाई अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहती थी, युद्ध के दौरान महारानी अहिल्याबाई हाथी पर सवार होकर दुश्मनों पर एक वीर शासक की तरह तीरंदाजी करती थी।

    इसके साथ ही आपको बता दें कि जब महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मालवा प्रांत की बाग़डोर संभाली थी, उस दौरान मालवा प्रांत में अशांति फैली हुई थी, राज्य में चोरी, लूट, हत्या आदि की वारदातें बढ़ रहीं थी, जिस पर लगाम लगाने में महारानी सफल हुईं और अपने राज में शांति एवं सुरक्षा की स्थापना की।

    जिसके बाद उनका राज में कला, व्यवसाय, शिक्षा आदि के क्षेत्र में काफी विकास भी हुआ।

    धीरे-धीरे महारानी अहिल्याबाई (Ahilyabai Holkar) की वीरता और साहस के चर्चे पूरी दुनियाभर में होने लगे। वे दूरदर्शी सोच रखने वाली शासक थी, जो अपने कौशल से दुश्मनों के इरादों को भांप लेती थी। वहीं एक बार जब मराठा-पेशवा को अंग्रेजों के नापाक मंसूबों का पता नहीं चला तब, अहिल्याबाई ने पेशवा को आगाह किया था।

    वहीं एक महान शासक की तरह अहिल्याबाई ने भी अपने राज्य के विस्तार के लिए कई काम किए। और अपने राज्य के विकास के मकसद से उन्होंने राज्य को व्यवस्थित कर उसे अलग-अलग तहसीलों और जिलों में बांट दिया और पंचायतों का काम व्यवस्थित कर, न्यायालयों की स्थापना की। इस तरह उनकी गणना एक आदर्श शासक के रुप में होने लगी थी।

    महारानी अहिल्याबाई के विकास एवं निर्माण कार्य – Ahilyabai Holkar Work

    एक महान एवं वीर शासक के तौर पर अहिल्याबाई ने 18वीं सदी में राजधानी माहेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे एक भव्य, शानदार एवं आलीशान अहिल्या महल बनवाया। माहेश्वर, साहित्य, संगीत, कला और उद्योग के लिए जाना जाता था।

    आपको बता दें कि मराठा प्रांत की महारानी एवं वीर योद्धा महारानी अहिल्याबाई किसी बड़े राज्य की महारानी नहीं थी, इसके बाद भी उन्होंनें अपने शासन काल के दौरान अपने सम्राज्य का विस्तार करने और इसे समृद्ध बनाने के लिए  विकास के कई काम किए। उन्होंने कई धार्मिक एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थल एवं बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण करवाया।

    इसके अलावा महारानी अहिल्याबाई ने एक आदर्श शासक की तरह बेहद कुशाग्रता और बुद्धिमानी के साथ कई किले विश्राम ग्रह, कुंए और सड़कें बनवाईं। यही नहीं अहिल्याबाई होलकर ने शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया एवं कला-कौशल के क्षेत्र में भी अपना अभूतपूर्व योगदान दिया।

    रानी अहिल्याबाई (Ahilyabai Holkar) ने न सिर्फ अपने प्रांत में बल्कि में भारत के कई अलग-अलग हिस्सों में धार्मिक मंदिरों मन्दिरों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया था।

    अहिल्याबाई ने द्वारिका, रामेश्वर, बद्रीनारायण, सोमनाथ, अयोध्या, जगन्नाथ पुरी, काशी, गया, मथुरा, हरिद्वार, आदि कई प्रसिद्ध एवं बड़े मंदिरों का जीर्णाद्धार करवाया और धर्म शालाओं का निर्माण करवाया।

    इसके अलावा उन्होनें बनारस में अन्नपूर्णा का मन्दिर, गया में विष्णु मन्दिर आदि बनवाए।

    यही नहीं मराठा प्रांत की महारानी अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल के दौरान कलकत्ता से बनारस तक की सड़क का निर्माण करवाया, कई कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया, घाट बँधवाए, सड़क-मार्ग बनवाए।

    अहिल्याबाई (Ahilyabai Holkar) एक उदार शासक थी, जिनके अंदर दया और परोपकार की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी, इसलिए उन्होंने अपने शासनकाल में गरीबों और भूखों के लिए कई अन्नक्षेत्र खोलें एवं प्यासे लोगों को पानी पिलाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था भी करवाई।

    इंदौर को एक खूबसूरत एवं समृद्ध शहर बनाने में अहिल्याबाई का योगदान

    करीब 30 साल के अद्भुत शासनकाल के दौरान मराठा प्रांत की राजमाता अहिल्याबाई होलकर ने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध एवं विकसित शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

    उन्होंने यहां पर सड़कों की दशा सुधारने, गरीबों और भूखों के लिए खाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया। अहिल्याबाई की बदौलत ही आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध एवं विकसित शहरों में होती है।

    अहिल्याबाई ने विधवा महिलाओं और समाज के लिए किए कई काम

    महारानी अहिल्याबाई की पहचान एक विनम्र एवं उदार शासक के रुप में थी। उनके ह्रद्य में जरूरमदों, गरीबों और असहाय व्यक्ति के लिए दया और परोपकार की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।

    उन्होंने समाज सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। अहिल्याबाई हमेशा अपनी प्रजा और गरीबों की भलाई के बारे में सोचती रहती थी, इसके साथ ही वे गरीबों और निर्धनों की संभव मद्द के लिए हमेशा तत्पर रहती थी।

    उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी खासा काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया था।

    दरअसल, अहिल्याबाई के मराठा प्रांत का शासन संभालने से पहले यह कानून था कि, अगर कोई महिला विधवा हो जाए और उसका पुत्र न हो, तो उसकी पूरी संपत्ति सरकारी खजाना या फिर राजकोष में जमा कर दी जाती थी, लेकिन अहिल्याबाई ने इस कानून को बदलकर विधवा महिला को अपनी पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया।

    इसके अलावा उन्होंने महिला शिक्षा पर भी खासा जोर दिया। अपने जीवन में तमाम परेशानियां झेलने के बाद जिस तरह महारानी अहिल्याबाई ने अपनी अदम्य नारी शक्ति का इस्तेमाल किया था, वो काफी प्रशंसनीय है। अहिल्याबाई कई महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

    भगवान शिव के प्रति थी गहरी आस्था और समर्पण

    महारानी अहिल्याबाई होलकर जी भगवान शिव की परम भक्त थीं, उनकी भगवान शंकर में गहरी आस्था थी। ऐसा कहा जाता है कि रानी अहिल्‍याबाई के सपने में एक बार भगवान शिव आए थे, जिसके बाद उन्होंने साल 1777 में दुनिया भर में मशहूर  काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।

    महारानी अहिल्याबाई की शिव भक्ति के बारे में यहां तक कहा जाता है कि, अहिल्याबाई राजाज्ञाओं पर साइन करते समय अपना नाम कभी  नहीं लिखती थी। वे अपने नाम की बजाय श्री शंकर लिख देती थी।

    वहीं तब से लेकर स्वराज्य की प्राप्ति तक इंदौर में जितने भी राजाओं ने वहां की बागडोर संभाली सभी राजाज्ञाएं श्री शंकर के नाम पर जारी होती रहीं।

    अहिल्याबाई की उपलब्धियां एवं सम्मान – Ahilyabai Holkar Award

    महारानी अहिल्याबाई होलकर द्धारा किए गए महान कामों के लिए उनके सम्मान में भारत सरकार की तरफ से 25 अगस्त साल 1996 में एक डाक टिकट जारी कर दिया गया। इसके अलवा अहिल्याबाई जी के आसाधारण कामों के लिए उनके नाम पर एक अवॉर्ड भी स्थापित किया गया था।

    अहिल्याबाई की मृत्यु – Ahilyabai Holkar Death

    अपनी प्रजा की हित में काम करने वाली आदर्श शासक अहिल्याबाई होलकर 13 अगस्त साल 1795 ईसवी में स्वास्थ्य बिगड़ने की वजह से हमेशा के लिए यह दुनिया छोड़कर चल बसीं।

    हालांकि, अहिल्याबाई (Ahilyabai Holkar) होलकर जी की दरियादिली और उनके महान कामों ने आज भी उन्हें लोगों के बीच जिंदा बनाए रखा है।

    इस तरह अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों को झेलने के बाद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और हमेशा अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ती रहीं एवं कठिन समय में भी उन्होंने अपने प्रांत की प्रजा का ख्याल एक ममतामयी और आदर्श मां की तरह रखा।

    इसलिए उन्हें राजमाता और लोकमाता के रुप में भी पहचाना गया। अहिल्याबाई होलकर ने एक आदर्श शासक की तरह अपने प्रांत को समृद्ध बनाने के लिए खूब  काम किए।

    महारानी अहिल्याबाई हमेशा ही अदम्य नारी शक्ति, वीरता, पराक्रम, साहस, न्याय एवं राजतंत्र की एक अनोखी मिसाल रहेंगी, जिन्हें युगों-युगों तक याद किया जाएगा।

    Biography of Social Workers
    Share. Facebook Twitter WhatsApp
    Jiohind Editorial Team

      Jiohind.com एक ऐसी हिंदी वेबसाइट है जहा आप मोटिवेशनल एंड एजुकेशनल आर्टिकल प्राप्त कर सकते है, साथ ही आप हिंदी लेख, सुविचार, जीवनी, बॉलीवुड न्यूज़, प्रेरक उद्यमी कहानियां, अद्भुत रहस्य, व्यक्तित्व विकास लेख और हिंदी में अधिक उपयोगी सामग्री पा सकते हैं।

      Related Posts

      Biography of Pandit Jawaharlal Nehru – पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

      June 28, 2021

      Biography of Milkha Singh – मिल्खा सिंह की जीवनी

      June 22, 2021

      The Biography of Bhagat Singh – भगत सिंह का जीवन परिचय

      June 19, 2021

      Leave A Reply Cancel Reply

      Interesting Facts
      • Mount Everest Facts – माउंट एवरेस्ट के तथ्य

      • दुनिया के बारे में रोचक बाते – Interesting Facts About World

      • पक्षियों की रोचक जानकारी – Information & Facts About The Birds

      • भारतीय हॉकी टीम से जुड़े 22 रोचक तथ्य – Indian Hockey Team Facts in Hindi

      • मानव शरीर के गजब रहस्य | facts about human body in Hindi

      Biography
      • शाहिद कपूर जीवन परिचय – Shahid kapoor Biography

        शाहिद कपूर जीवन परिचय – Shahid kapoor Biography

      • नितीश भारद्वाज कि जीवनी – Nitish Bhardwaj Biography

        नितीश भारद्वाज कि जीवनी – Nitish Bhardwaj Biography

      • Atal Bihari Vajpayee Biography – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

        Atal Bihari Vajpayee Biography – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

      • Ranveer Singh biography – रणवीर सिंह की जीवनी

        Ranveer Singh biography – रणवीर सिंह की जीवनी

      • जाने सुपर 30 के आनंद कुमार की Life Story – Anand Kumar Biography In Hindi

        जाने सुपर 30 के आनंद कुमार की Life Story – Anand Kumar Biography In Hindi

      Motivational
      • Anniversary Wishes For Parents – शादी की सालगिरह की शुभकामनाएं

      • Quotes For Sister – बहन पर अनमोल सुविचार

      • Jawaharlal Nehru Quotes – पंडित जवाहर लाल नेहरू के सुविचार

      • Happy Anniversary Wishes – शादी की सालगिरह की शुभकामनाएं

      • Top 10 Valentine’s Day Quotes to Share With Your Sweetheart – टॉप 10 वैलेंटाइन कोट्स

      Education
      • Sex Education in Schools – यौन शिक्षा का महत्व

        Sex Education in Schools – यौन शिक्षा का महत्व

      • How to Improve English – अंग्रेजी भाषा सीखने के आसान तरीके

        How to Improve English – अंग्रेजी भाषा सीखने के आसान तरीके

      • यो-यो टेस्ट क्या है – What Is Yo-Yo Test Meaning, Levels And Scores In Hindi

        यो-यो टेस्ट क्या है – What Is Yo-Yo Test Meaning, Levels And Scores In Hindi

      • After 12th बिजनेस एनालिस्ट बनकर सवारें कंपनी और अपना करियर

        After 12th बिजनेस एनालिस्ट बनकर सवारें कंपनी और अपना करियर

      • Resume kaise Banaye – रिज्यूम बनाने का सरल तरीका

        Resume kaise Banaye – रिज्यूम बनाने का सरल तरीका

      • About Us
      • Privacy Policy
      • Disclaimer
      • Terms and Conditions
      • contact us
      © 2022 Jiohind. Designed by Shikshawse.com.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.