मानव शरीर की संरचना में पीठ पर शरीर का अधिकतम भार रहता है। इसके अलावा आज के समय में अधिकतर लोग दिन में लगभग 10 घंटे अपने कंप्यूटर के सामने बैठकर बिताते हैं, ऐसे में पीठ में दर्द होना लाजिमी है। इनसे बचने के लिए पीठ की मांसपेशियों का मजबूत होना बहुत जरूरी है। पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए कोबारा पोज यानी भुजंगासन बहुत फायदेमंद होता है।
जिन लोगों को पीठ और मेरुदंड से जुड़ी समस्याएं होती हैं, उन्हें नियमित रूप से भुजंगासन करना चाहिए क्योंकि इससे पीठ में लचीलापन बढ़ता है और मांसपेशियों में मजबूती आती है। साथ ही यह कई रोगों में भी काफी लाभप्रद होता है। आइए जानें पीठ को मजबूत बनाने के लिए भुजंगासन कैसे मददगार होता है।
इस आसन को करते समय शरीर का आकार फन उठाए हुए सर्प के समान हो जाता है इसलिए इसे ‘भुजंगासन’ कहा जाता हैं। इसे कोबारा पोज के नाम से भी जाना जाता हैं। सभी आसनों में से भुजंग आसन एक प्रसिद्ध आसन है। पीठ के दर्द के रोगीयों के लिए यह आसान अत्यंत गुणकारी होता है। सम्पूर्ण व्यायाम कहे जाने वाले सूर्य नमस्कार में भुजंगासन सातवें क्रम पर आता है। इस लाभदायी आसन को नियमित रूप से करने से कंधे, हाथ, कुहनियां, पीठ, किडनी, और लीवर को मजबूती मिलती है, तथा अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।
भुजंगासन करने की विधि
-साफ और समान जगह पर चटाई/दरी बिछाकर यह आसन करना चाहिए। और पैरों को सीधा, लंबा और फैलाकर रखना चाहिए।
-इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जायें।
-अपने हथेलियों को कंधो के नीचे जमीन पर रखें। माथे को जमीन से लगाकर रखें।
-अपनी कोहनियो की दिशा ऊपर आसमान की ओर रखें।
-अब धीरे-धीरे सिर को और कंधों को जमीन से ऊपर उठाइये। सिर को ऊपर उठाते समय श्वास अंदर लेनी है।
-हाथो का अंदरूनी हिस्सा शरीर से स्पर्श कर रखें। लेकिन हाथों पर अधिक दबाव न आने दें।
-अब धीरे-धीरे हाथों को कोहनियो से सीधा कर, पूरी पीठ को पीछे की ओर झुकाना है। नाभि को जमीन से लगाकर रखें। इस स्थिति में श्वास सामान्य रखें। इस स्थिति में 20 से 30 सेकेण्ड तक रुकें और अभ्यास के साथ अंतराल बढ़ायें।
-इस अंतिम स्थिति में कुछ देर रुकने के बाद धीरे-धीरे नीचे आइए तथा पूर्व स्थिति में विश्राम करें। यह क्रिया श्वास को बाहर छोड़ते हुए करनी है।
भुजंगासन के लाभ
-यह आसन पीठ को विशेष लचीला बनाता है तथा उदर अंगों की मालिश करता है।
-स्लिप डिस्क को सही स्थान पर ला सकता है और पीठ दर्द को दूर करता है।
-मेरुदंड लचीला होता है, तो शरीर और मस्तिष्क के बीच सही तालमेल बनता है।
-यह अभ्यास पीठ में रक्त-संचार बढ़ाने तथा तंत्रिकाओं को सबल बनाकर मस्तिष्क और शरीर के बीच संचार व्यवस्था ठीक करने में अहम है।
-महिलाओं के अंडाशय एवं गर्भाशय को मजबूत बनाता है तथा मासिक धर्म संबंधी समस्याओं एवं स्त्री रोगों को दूर करने में काफी सहायक है।
-यह आसन भूख को बढ़ाता है और कब्ज को दूर करता है। गुर्दो और एड्रिनल ग्रंथि पर भी काफी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
भुजंगासन में निम्नलिखित सावधानी बरतें
-हार्निया और हाइपर थायरायड से पीड़ित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
-अत्यधिक पेट दर्द होने पर यह आसन न करें।
-पीछे की ओर अकस्मात सिर और पीठ को नहीं झुकाना चाहिए।
-यह आसन अपनी क्षमता अनुसार ही करें।
इस आसन से आप अपने शरीर को लचीला और फुर्तीला बना सकते हैं। अगर आपको पहले से कोई रोग या समस्या है तो किसी भी नए व्यायाम या आसन को करते समय अपने डॉक्टर और योग विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।