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    महात्मा गांधी की जीवनी – Mahatma Gandhi Biography

    March 31, 2019Updated:July 7, 2021
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    Mahatma Gandhi Biography in Hindi – महात्मा गांधी की जीवनी 

    Mahatma Gandhi Biography in Hindi : महात्मा गाँधी की जीवनी (Mahatma Gandhi ki Jivani) में उनके जीवन के संघर्ष (About Mahatma Gandhi Life History) आंदोलन (Mahatma Gandhi Life Story) और सफलता की पूरी जानकारी (Mahatma Gandhi Information in Hindi) साझा करेंगे.

    भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जो सत्य और अहिंसा के पूरक थे की, गाँधी जयंती 2 अक्टूबर को आती है । महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था, वे एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने कभी भी अहिंसा का मार्ग नहीं छोङा और उन्होंने अहिंसा के ही मार्ग पर चलते हुए भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे, और इसे वे पूरी तरह अपने जीवन में लागू भी करते थे।

    महात्मा गांधी जी की जानकारी  – Mahatma Gandhi Information in Hindi

    Mahatma Gandhi Full Name मोहनदास करमचन्द गाँधी
    Mahatma Gandhi Father Name करमचंद गाँधी
    Mahatma Gandhi Mother Name पुतलीबाई
    Mahatma Gandhi Birth Date 2 अक्टूबर 1869
    Where Mahatma Gandhi Born  पोरबन्दर (गुजरात)
    Mahatma Gandhi Age 78 years
    1869–1948
    Mahatma Gandhi Education 1887 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की,
    बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज में ग्रेजुएशन पूरी की, 1888-91, बैरिस्टर की पढाई, लंदन युनिवर्सिटी से करी.
    Mahatma Gandhi Professions बैरिस्टर, राजनीतिज्ञ, काँग्रेस कार्यकर्ता, लेखक
    Mahatma Gandhi Wife कस्तूरबा गाँधी
    Mahatma Gandhi Son हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
    Mahatma Gandhi Grandson राजमोहन गाँधी, गोपालकृष्ण गाँधी, रामचंद्र गाँधी, अरुण मणिलाल गाँधी
    Mahatma Gandhi Death Date 30 जनवरी 1948
    Mahatma Gandhi Cause of Death हत्या (नाथूराम गोडसे द्वारा)
    Mahatma Gandhi Place of Death नई दिल्ली

    यह भी पढ़े – Facts About Mahatma Gandhi – महात्मा गाँधी से जुड़े रोचक तथ्य

    महात्मा गाँधी का जीवन परिचय – Mahatma Gandhi Jivan Parichay

    महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। 13 साल की उम्र में, महात्मा गांधी की शादी हुई थी। उनके चार पुत्र थे – हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास।

    महात्मा गाँधी वंशावली – Mahatma Gandhi  Family Tree

    Mahatma-Gandhi-Family-Tree

    महात्मा गांधी के पिता ब्रिटिश शासन के दौरान पहले पोरबंदर और बाद में क्रमशः राजकोट व बांकानेर के दीवान रहें। 1885 में गाँधी जी के पिताजी करमचंद गाँधी की मृत्यु हो गयी। इनकी माता पुतलीबाई, बहुत ही धार्मिक महिला थी, जिस का गाँधी जी के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पङा। जिसे उन्होंने स्वंय पुणे की यरवदा जेल में अपने मित्र और सचिव महादेव देसाई को कहा था- ‘‘तुम्हें मेरे अंदर जो भी शुद्धता दिखाई देती हो वह मैंने अपने पिता से नहीं, अपनी माता से पाई है…उन्होंने मेरे मन पर जो एकमात्र प्रभाव छोड़ा वह साधुता का प्रभाव था।’

    महात्मा गाँधी जीवन कथा – Mahatma Gandhi Life Story

    गाँधी जी की शादी सन् 1883, मई में 13 वर्ष की आयु पूरी करते ही 14 साल की कस्तूरबा माखन जी से हुई। गाँधी जी ने इनका नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया और बाद में लोग उन्हें प्यार से बा कहने लगे। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा गाँधी शादी से पहले तक अनपढ़ थीं। शादी के बाद गाँधीजी ने उन्हें लिखना एवं पढ़ना सिखाया। ये एक आदर्श पत्नी थी और गाँधी जी के हर कार्य में दृढता से उनके साथ खङी रही।

    महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिसाल हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इनका पालन करने के लिये कहा। उन्होंने अपना जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रक्खे।

    गाँधी जी की शिक्षा – Mahatma Gandhi ki Jivani

    गाँधी जी की प्रारम्भिक और मिडिल स्कूल तक की शिक्षा पोरबंदर में प्राप्त की। इनके पिता की बदली राजकोट होने के कारण गाँधी जी की आगे की शिक्षा राजकोट में हुई। गाँधी जी कोपढाई में कोई विशेष रुचि नहीं थी। वे एक औसत दर्जें के विद्यार्थी रहे।

    साल 1887 में उन्होंने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया लेकिन अस्वस्थ होने पर पोरबंदर वापस लौट आये। गाँधी जी के पिता की मृत्यु के बाद उन्हें वकालत कि हालांकि गाँधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे परन्तु परिवारी कि इस्तिथि के कारन उन्हें बैरिस्टर की पढ़ाई कर अपने पिता का का दीवानी का पद लेना था।

    उनका परिवार उनके विदेश जाने के फैसले से सहमत नहीं था, किन्तु गाँधी जी ने अपनी माँ से वादा किया कि वे शाकाहारी भोजन करेगें। इस प्रकार अपनी माँ को आश्वस्त करने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड जाने की आज्ञा मिली।

    4 सितम्बर 1888 को गाँधी जी इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुये। इंग्लैण्ड में गाँधी को अपने खान-पान और पहनावे के कारण कई बार शर्मिदा भी होना पड़ा। किन्तु उन्होंने हर एक परिस्थिति में अपनी माँ को दिये वचन का पालन किया। बाद में इन्होंने लंदन शाकाहारी समाज (लंदन वेजीटेरियन सोसायटी) की सदस्यता ग्रहण की। गाँधी जी ने लंदन वेजीटेरियन सोसायटी पत्रिका में लेख भी लिखे।1888-1891 तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और 1891 में ये भारत लौट आये।

    महात्मा गाँधी का जीवन इतिहास (1891-1893) – About Mahatma Gandhi Life History

    1891 में गाँधी जी कि माँ की मृत्यु होगई। गाँधी जी ने बंबई जाकर वकालत का अभ्यास किया किन्तु स्वंय को स्थापित नहीं कर पाये और वापस राजकोट आ गये। यहाँ इन्होंने लागों की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरु कर दिया। एक ब्रिटिश अधिकारी को नाराज कर देने के कारण इनका यह काम भी बन्द हो गया।

    Mahatma Gandhi in South Africa History एक वर्ष के कानून के असफल अभ्यास के बाद, गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका दादा अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और 1883 में अफ्रीका (डरबन) कहले गए। इस यात्रा के दौरान गाँधी जी को भारतियों के साथ हो रहें भेदभाव का अनुभव हुआ।

    Mahatma Gandhi Train Incident in South Africa 31 मई 1883 को प्रिटोरिया जाने के दौरान प्रथम श्रेणी की टिकट के बावजूद उन्हें एक श्वेत अधिकारी ने गाडी से धक्का दे दिया और उन्होंने ठिठुरते हुये रात बिताई, एक अन्य घटना में एक घोङा चालक ने उन्हें पीटा क्योंकि उन्होंने एक श्वेत अंग्रेज को सीट देकर पायदान पर बैठकर यात्रा करने से इंकार कर दिया था ऐसी कुछ घटनाओ ने गाँधी जी के जीवन का रुख ही बदल दिया।

    नटाल (अफ्रीका) में भारतीयों का अपमान आम बात थी और गाँधी जी के लिये एक नया अनुभव। यहीं से गाँधी जी ने इस अन्याय का विरोध करने शुरुआत की।1893-1894 तक गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में ही रहें और भारतियों के अधिकारों और सम्मान के लिये संघर्ष किया।

    Mahatma Gandhi First Satyagraha 1884-1904 सब से पहले गाँधी जी ने केवल सरकार को अपनी समस्याओं से संबंधित याचिकाएँ भेजी। 22 अगस्त 1894 में “नेटाल भारतीय काग्रेंस का” गठन किया और “इण्डियन ओपिनियन” नामक अखबार के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरु की। इस संघर्ष को व्यापारियों और वकीलों के आन्दोलन के नाम से जाना जाता है। 1906 में गाँधी जी ने नये स्तर से आन्दोलन को प्रारम्भ किया। यहीं से मूल गाँधीवादी प्राणाली की शुरुआत मानी जाती है।

    When Did Mahatma Gandhi Returned to India From South Africa 1915 में 46 वर्ष की उम्र में गाँधी जी भारत लौट आये, और एक वर्ष शान्तिपूर्ण बिना किसी आन्दोलन के भारत की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन किया। उन्होंने भारत की वास्तविक स्थिति से रूबरू होने के लिये पूरे भारत का भ्रमण किया। 1916 में गाँधी जी नें अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। फरवरी 1916 में गाँधी जी ने पहली बार बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में मंच पर भाषण दिया।

    गांधी जी के आंदोलन – Mahatma Gandhi ke Andolan

    • चम्पारण और खेडा आन्दोलन (1917-1918) किसानों के हक के लिये गाँधी जी ने यह आन्दोलन किया।
    • 1918 में अहमदाबाद मिल मजदूरों के हक के लिये भूख हङताल के कारण मिल मालिकों को मजदूरों से माँग माननी पङी।
    • खिलाफत आन्दोलन 1919-1924 मुसलमानों द्वारा चलाया गया आन्दोलन था और गाँधी जी ने भी इस आंदलन का समर्थन किया जिससे वे स्वतंत्रता आन्दोलन में मुसलिमों का सहयोग प्राप्त कर सके।
    • असहयोग आन्दोलन (1919-1920) के जन्म का मुख्य कारण रोलट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) था।
    • चौरी-चौरा काण्ड (1922) देश का सबसे बङा आन्दोलन था। एक हङताल की रैली के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर ने से भीङ आक्रोशित हो गयी और किसानों के एक समूह ने फरवरी 1922 में चौरी-चौरा नामक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना से गाँधी जी ने आन्दोलन को वापस ले लिया।

    गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि- “आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”

    गाँधी जी ने स्वराज्य प्रदान करने की अपनी माँग का दबाव अंग्रेजी सरकार पर डालने के लिये 6 अप्रैल 1930 को एक और आन्दोलन का नेतृत्व किया जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

    महात्मा गाँधी दांडी मार्च – Mahatma Gandhi Dandi March

    Mahatma Gandhi Salt Satyagraha इसे दांङी मार्च या नमक कानून भी कहा जाता है। यह दांङी मार्च गाँधी जी ने साबरमती आश्रम से निकाली। इस आन्दोलन का उद्देश्य सामूहिक रुप से कुछ विशिष्ट गैर-कानूनी कार्यों को करके सरकार को झुकाना था। इस आन्दोलन की प्रबलता को देखते हुये सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिये भेजा। गाँधी जी ने यह समझौता स्वीकार कर लिया और आन्दोलन वापस ले लिया।

    भारत छोडो आन्दोलन – Quite India Movment

    भारत छोडो आन्दोलन (अगस्त 1942) Quit India Movement in Hindi इस आन्दोलन का उद्देश्य तुरन्त स्वतंत्रता प्राप्त करना था। 8 अगस्त 1942 काग्रेंस के बम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोङों का नारा दिया गया और 9 अगस्त 1942 को गाँधी जी के कहने पर पूरा देश आन्दोलन में शामिल हो गया। ब्रिटिश सरकार इस आन्दोलन को दबाने में सरकार को एक वर्ष से अधिक समय लगा।

    भारत – पाक विभाजन और आज़ादी – Partition of India Pakistan And InDependence

    अंग्रेजों ने जाते जाते भी भारत को दो टुकङों में बाँट दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी थी। उन्होंने भारत को आजाद करने के संकेत दे दिये थे। भारत की आजादी के साथ ही जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग राज्य पाकिस्तान की भी माँग होने लगी। गाँधी जी देश का बँटवारा नहीं होने देना चाहते थे। किन्तु उस समय परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण देश दो भागों में बँट गया।

    ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ और भारतवासियों को ‘करो या मरो’ की दी गई ललकार का भीषण परिणाम निकला अंत में अंग्रेज विवश हो गये औऱ ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली के पहल पर कैबिनेट मिशन की घोषणा कर दी गई । ब्रिटीश कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत आया । अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रुप में दुनिया के पटल पर उदय हुआ । भारतीय स्वतंत्रता में गांधी जी का योगदान अद्वितीय है । 

    महात्मा गांधी की मृत्यु कैसे हुई – How Mahatma Gandhi Died

    जनवरी 1948 में, गांधी जी ने दिल्ली शहर में शांति लाने के लिए उपवास किया। 30 जनवरी को उपवास समाप्त होने के 12 दिन बाद, गांधी जी दिल्ली में एक शाम की प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे, जब उन्हें नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मार दी गई, जो हिंदू महात्माओं द्वारा जिन्ना और अन्य मुसलमानों के साथ बातचीत के प्रयासों से नाराज थे। अगले दिन, लगभग 1 मिलियन लोगों ने जुलूस का अनुसरण किया क्योंकि गांधी जी के पार्थिव शरीर को शहर की सड़कों के माध्यम से राज्य में ले जाया गया और पवित्र जुमना नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया।

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