Milkha Singh Age, Records & Family – मिल्खा सिंह की जीवनी
Biography of Milkha Singh – देश में यदि किसी धावक का नाम लिया जाता है तो सबसे पहले मिल्खा सिंह का नाम आता है। इन्हें भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित धावक में से एक है। इन्होंने इनके जीवन में कई पदक जीते है और विश्व भर में अपने देश का नाम रोशन किया है।
पुराने ज़माने में यह प्रतियोगिताएं घास के प्राकृतिक मैदान में होती थीं ,अब ये कृत्रिम टार्टन ट्रेक पर होती हैं ,5 प्रकार की इस प्रतियोगिता में विभिन्न दूरियों में 100 मीटर से लेकर 10 हजार मीटर तक की सामान्य दौड़ों के अलावा 25-30 हजार की दौड़े, रिले दौड़, बाधा दौड़ तथा रटीपल चेस दौड़ होती है। आज milkha singh family ,मिल्खा सिंह 400 मीटर वर्ल्ड रिकॉर्ड और milkha singh cast के सम्बंधित जानकारी से वाकिफ कराने जारहे है। दौड़ों के समय मापन के लिए इलेक्ट्रॉनिक यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है ।
मिल्खा सिंह एक पूर्व भारतीय ट्रैक और फील्ड धावक है। पाकिस्तान के अभिलेखों के अनुसार, “फ्लाइंग सिख” के नाम से विख्यात मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर सन् 1929 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था, जबकि अन्य रिपोर्टों का कहना है कि उनका जन्म 8 अक्टूबर सन् 1935 को हुआ था। मिल्खा सिंह राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के एकमात्र पुरुष खिलाड़ी है। खेल में उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए वर्ष 1959 में मिल्खा सिंह को भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

मिल्खा सिंह की जीवनी एक नज़र में
- नाम मिल्खा सिंह
- उपनाम फ्लाइंग सिख
- जन्म और स्थान 20 नवम्बर 1929, पंजाब (अविभाजित भारत)
- पत्नी निर्मला कोर
- बच्चे 1 बेटा और 3 बेटी
- निधन 18 जून 2021 (91 वर्ष की आयु में)
Biography of Milkha Singh – जन्म, बचपन, परिवार, शिक्षा एवं प्रारंभिक जीवन
मिल्खा सिंह का जीवन कई संघर्षो से भरा हुआ है। मिल्खा सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब में एक सिख राठौर परिवार में हुआ था, इनका जन्म 20 नवम्बर 1929 को हुआ था। लेकिन कुछ दस्तावेजों में 17 अक्टूबर 1935 को दिखाया गया है।
इनका परिवार काफी बड़ा था, इनके 15 भाई बहन थे। लेकिन इनके भाई की बचपन में ही मृत्यु हो गयी थी। यह माँ-बाप की 15 संतानों में अकेले थे। भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने माँ-बाप और भाई-बहन को खो दिया। जिसके बाद यह सरकार द्वारा बनाये गए शरणार्थी केम्प में रहे और ट्रेन के द्वारा पाकिस्तान से दिल्ली आ गए। इनकी शादी हो गयी थी, इनकी पत्नी का नाम निर्मल कोर है और उन्हें 1 बेटा और 3 बेटी है।
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Biography of Milkha Singh – मिल्खा जी का वैवाहिक जीवन
मिल्खा सिंह का विवाह निर्मला कोर के साथ हुआ था। सबसे पहले चंडीगढ़ में मिल्खा सिंह की मुलाकात निर्मल कौर से हुई, उस समय उनकी निर्मला कोर 1955 में भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान थी। इसके बाद से दोनों में दोस्ती हुई और साल 1962 में दोनों ने शादी कर ली। शादी करने के बाद भी इन्होंने कई दौड़ जीती। इनके बेटे का नाम जीव मिल्खा सिंह है। इसके साथ ही उन्होंने एक 7 साल के बेटे को 1999 में गोद लिया, जो सेना में शामिल हुआ, जिसका नाम हविलदार बिक्रम सिंह था। लेकिन यह लड़का टाइगर हिल के युद्ध में शहीद हो गया था।
Records of Milkha Singh – मिल्खा सिंह के रिकार्ड्स
मिल्खा सिंह धावक बनाने से पहले भारतीय सेना में भर्ती हुए। सेना में जाने के बाद सेना के माध्यम से उन्होंने खेल को चुना और 200 मी और 400 मी में अपने आप को तैयार किया। उन्होंने सन 1956 के मेर्लबन्न ओलिंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर में भारत का प्रतिनिधित्व किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर इस रेस में भाग लिया।
लेकिन उस समय इनको इतना ज्यादा अनुभव नहीं था, जिसके कारण यह वह रेस हार गए थे। उस समय 400 मीटर प्रतियोगिता के विजेता चार्ल्स जेंकिंस के साथ हुई मुलाकात के बाद से उन्होंने कड़ी मेहनत की और नए तरिके से अपने आप को तैयार किया और दोबारा प्रयास किया।
इसके बाद मिल्खा सिंह ने साल 1957 में 400 मीटर की दौड़ को मात्र 5 सैकेंड में पूरा करके एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान भारत के नाम किया। साल 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में भी उन्होंने हिस्सा लिया और 200 मी और 400 मी प्रतियोगिता में विजेता रहे। एशियन खेलों में भी इनको विजय हुई जिसमें इन्होने भारत का प्रतिनिधित्व किया और देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया।
साल 1958 में महत्वपूर्ण सफलता मिली, जब उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद से इनकी कीर्ति पुरे विश्व में होने लगी और इन्हें सभी लोग जानने लगे। साल 1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सेना ने मिल्खा सिंह को जूनियर कमीशंड ऑफिरसर के तौर पर प्रमोशन करके उन्हें सम्मानित किया।

खेल निदेशक के पद पर नियुक्त हुए
इन सभा उपलब्धियों को प्राप्त करने के बाद उन्हें पंजाब के शिक्षा विभाग में खेल निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। यहां पर उन्होंने अपने कार्य को करते हुए साल 1998 में रिटायर्ड हुए।
“उड़न सिख” का उपनाम का उपनाम मिला
मिलखा सिंह शुरू से ही तेज दौड़ने में सफल रहे है, उन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जहां जनरल अयूब खान ने उन्हें “उड़न सिख” कह कर पुकारा। जिसके बाद से उन्हें लोगों द्वारा “उड़न सिख” के नाम से पुकारा जाने लगा।
आपको बता दें कि 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ में 40 सालों के रिकॉर्ड को जरूर तोड़ा था। लेकिन दुर्भाग्यवश वे इस रेस को जित नहीं पाए थे और पदक पाने से वंचित रह गए। इस रेस में उनका चौथा स्थान रहा। इसके बाद उन्होंने सन्यास लेने की भी घोषणा की थी लेकिन अन्य धावकों के समझाने पर उन्होंने अपनी दौड़ जारी रखी थी।
मिल्खा सिंह ने कई रिकॉर्ड बनाये थे, एक रिकॉर्ड उन्होंने साल 1998 में रोम ओलंपिक में बनाया था, जिसको बाद में भारतीय धावक परमजीत सिंह ने तोड़ा था।
मिल्खा सिंह को प्राप्त पुरस्कार और उपलब्धियाँ
मिल्खा सिंह को अपने जीवन में कई पुरस्कार प्राप्त हुए, उनमें से कुछ विशेष उपलब्धियां मिली जैसे:
- मिल्खा सिंह को 1959 में ‘पद्मश्री‘ से अलंकृत किया गया।
- मिल्खा सिंह ने 1958 के एशियाई खेलों में 200 मी व 400 मी में स्वर्ण पदक जीते।
- 1962 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता।
- 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
Milkha Singh Movie – भाग मिल्खा भाग
जुलाई 2013 में रिलीज हुई राकेश ओमप्रकाश मेहरा की इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फरहान अख्तर ने निभाया था। आजाद भारत का पहला कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडल जीतने वाले मिल्खा सिंह ने इस मूवी की स्वकृति और रॉयल्टी की फीस के रूप में सिर्फ एक रुपया लिया था और वो भी इसलिए क्योकि मिल्खा चाहते थे कि उनकी कहानी से देश में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़े परन्तु वो एक रूपया मामूली नहीं था, उस नोट की खासियत यह थी कि यह 1958 में छपा था। यह वही साल था जब मिल्खा सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था।
Milkha Singh Death
पूर्व भारतीय ट्रैक और फील्ड धावक मिल्खा सिंह का 18/6/2021 के दिन शुक्रवार को COVID-19 के साथ एक महीने की लंबी बीमारी के कारन चंडीगढ में निधन हो गया है। मिल्खा सिंह पद्म श्री पुरस्कार विजेता और मौत के समय 91 वर्ष के थे। उनके परिवार ने बताया की उनकी मौत रात 11.30 बजे चंडीगढ़ में हुई थी। उन्हें पीजीआईएमईआर अस्पताल में भर्ती किया गया था। बुखार और ऑक्सीजन जटिलताएं विकसित होने से हालत गंभीर हो गई थी। जिसके चलते सामान्य आईसीयू में स्थानांतरित किया गया था। उनकी पत्नी निर्मल कौर का निधन भी वायरस संक्रमण से रविवार को मोहाली के एक निजी अस्पताल में हुई है।
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