कबीर दास का जीवन परिचय – Kabir Das ka Jivan Parichay
Kabir Das Biography In Hindi – कबीर दास (Kabir Das in Hindi) भारत के महान कवि और समाज सुधारक थे। कबीर दास (Kabir Das ka Jivan Parichay) के नाम का अर्थ महानता से है। वे भारत के महानतम कवियों में से एक थे।
Kabir Das in Hindi- जब भी भारत में धर्म, भाषा, संस्कृति की चर्चा होती है तो कबीर दास जी (Kabir Das ji) का नाम का जिक्र सबसे पहले होता है क्योंकि कबीर दास जी ने अपने दोहों (Kabir Das Ji Ke Dohe ) के माध्यम से भारतीय संस्कृति को दर्शाया है|
इसके साथ ही उन्होनें जीवन के कई ऐसे उपदेश दिए हैं जिन्हें अपनाकर दर्शवादी बन सकते हैं इसके साथ ही कबीर दास (Kabir Das ji) ने अपने दोहों से समाज में फैली कुरोतियों को दूर करने की कोशिश की है और भेदभाव को मिटाया है। कबीर पंथ के लोग को कबीर पंथी कहे जाते है जो पूरे उत्तर और मध्य भारत में फैले हुए है। संत कबीर (Kabir Das ji) के लिखे कुछ महान रचनाओं में बीजक, कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, सखी ग्रंथ आदि है।
Kabir Das ka Jeevan Parichay – उनका का जन्म वर्ष 1440 में और मृत्यु वर्ष 1518 में हुई थी। वे हिन्दी साहित्य के विद्दान थे। ये स्पष्ट नहीं है कि उनके माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा सुना गया है कि उनकी परवरिश करने वाला कोई बेहद गरीब मुस्लिम बुनकर परिवार था। कबीर बेहद धार्मिक व्यक्ति थे और एक महान साधु बने। अपने प्रभावशाली परंपरा और संस्कृति से उन्हें विश्व प्रसिद्धि मिली।
यह ही पढ़े – Kabir Das ji Ke Dohe – संत कबीर के दोहे और उनके अर्थ
कबीर दास की जानकारी – Kabir Das Biography in Hindi
- नाम – संत कबीरदास (Kabir Das)
- जन्म – 1398
- जन्म स्थान – लहरतारा ताल, काशी
- मृत्यु – 1518
- मृत्यु स्थान – मगहर, उत्तर प्रदेश
- माता का नाम – नीमा
- पिता का नाम – नीरू
- पत्नी का नाम – लोई
- पुत्र का नाम – कमाल
- पुत्री का नाम – कमाली
- कर्म भूमि – काशी, बनारस
- कार्य क्षेत्र – समाज सुधारक, कवि, सूत काटकर कपड़ा बनाना
- मुख्य रचनाएं – साखी, सबद, रमैनी
- भाषा – अवधी, सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी
- शिक्षा – निरक्षर
- नागरिकता – भारतीय
कबीरदास जी का विवाह और बच्चे – Kabir Das Life History
कबीरदास जी का विवाह वनखेड़ी बैरागी की कन्या ”लोई” के साथ हुआ था। विवाह के बाद दोनों को संतान का सुख मिला कबीरदास जी के बेटे का नाम कमाल था जबकि बेटी का नाम कमाली था।
वहीं इन लोगों को परिवरिश करने के लिए कबीरदास जी को अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था। जिससे घर साधु-संतों का आना-जाना लगा रहता था।
वहीं उनके ग्रंथ साहब के एक श्लोक से अनुमान लगााया जाता है उनका पुत्र कमाल कबीर दास जी के मत का विरोधी था।
कबीर की वाणी (Kabir Das ji ke Dohe) का संग्रह `बीजक’ – Bijak के नाम से मशहूर हैं इसके भी तीन हिस्से हैं- रमैनी, सबद और सारवी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा समेत कई भाषाओं की खिचड़ी है।
कबीरदास जी (Kabir Das) का मानना था कि इंसान के सबसे पास उसके माता-पिता, दोस्त और मित्र रहते हैं इसलिए वे परमात्मा को भी इसी दृष्टि से देखते हैं
कबीर दास जी की मृत्यु – Sant Kabir Das Death
कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन काशी में ही गुजारा लेकिन वह मरने के समय मगहर चले गए थे। ऐसा माना जाता है उस समय लोग मानते थे कि मगहर में मरने से नरक मिलता है और काशी में प्राण त्यागने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
वहीं कबीर को जब अपने आखिरी समय का अंदेशा हो गया था तब वे लोगों की इस धारणा को तोड़ने के मगहर चले गए।
ये भी कहा जाता है कि कबीर के शत्रुओं ने उनको मगहर जाने के लिए मजबूर किया था।
वे चाहते थे कि कबीर की मुक्ति न हो पाए, लेकिन कबीर तो काशी मरन से नहीं, राम की भक्ति से मुक्ति पाना चाहते थे।
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4 Comments
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