Quotes by Sri Aurobindo – औरोबिन्दो घोष कोट्स
Quotes by Sri Aurobindo – श्री अरविन्द घोष यानि महर्षि अरविन्द एक महान दार्शनिक थे. उनका जन्म 15 अगस्त 1872 को एवं अवसान 5 दिसम्बर 1950 को हुआ था. उन्हें हिन्दू नवोत्थान के पुरोधा के रूप में जाना जाता है. महायोगी अरविन्द की साधना की चर्चा किये बिना हिन्दू नवोत्थान का विवरण अधूरा रह जाएगा. किन्तु, उनकी साधना का विश्लेषण आसान नहीं है.
भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में आइन्सटीन के सापेक्ष्यवाद की व्याख्या जितनी कठोर है, अध्यात्म के क्षेत्र में अरविन्द के अतिमानव और अतिमानस की व्याख्या भी उतनी ही दुरूह सिद्ध हुई है. अरविन्द, आरंभ में अंग्रेजी के कवि और चिंतक तथा देश के क्रांतिकारी राजनीतिक नेता थे. उनकी पुस्तक लाइफ डिवाइन एक अनुपम कृति है. पांडिचेरी को उन्होंने अपना साधना स्थल बनाया.
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Sri Aurobindo Quotes in Hindi
- जीवन जीवन है – चाहे एक बिल्ली का हो, या कुत्ता या आदमी का. एक बिल्ली या एक आदमी के बीच कोई अंतर नहीं है. अंतर का यह विचार मनुष्य के स्वयं के लाभ के लिए एक मानवीय अवधारणा है.
- कोई भी देश या जाति अब विश्व से अलग नहीं रह सकती.
- जैसे सारा संसार बदल रहा है, उसी प्रकार, भारत को भी बदलना चाहिए.
- भारत भौतिक समृद्धि से हीन है, यद्दपि, उसके जर्जर शरीर में आध्यात्मिकता का तेज वास करता है.
- यह देश यदि पश्चिम की शक्तियों को ग्रहण करे और अपनी शक्तिओं का भी विनाश नहीं होने दे तो उसके भीतर से जिस संस्कृति का उदय होगा वह अखिल विश्व के लिए कल्याणकारिणी होगी. वास्तव में वही संस्कृति विश्व की अगली संस्कृति बनेगी.
श्री अरबिंदो के अनमोल वचन
- व्यक्तियों में सर्वथा नवीन चेतना का संचार करो, उनके अस्तित्व के समग्र रूप को बदलो, जिससे पृथ्वी पर नए जीवन का समारंभ हो सके.
- और लोग अपने देश को एक भौतिक चीज की तरह जानते हैं. जैसे- मैदान, जमीन, पहाड़, जंगल, नदी वगैरह. लेकिन मैं अपने देश को माँ की तरह जानता हूँ. मैं उसे अपनी भक्ति अर्पित करता हूँ. उसे अपनी पूजा अर्पण करता हूँ.
- युगों का भारत मृत नहीं हुआ है और न उसने अपना अंतिम सृजनात्मक शब्द उच्चारित ही किया है, वह जीवित है और उसे अभी भी स्वयं अपने लिए और मानव लोगों के लिए बहुत कुछ करना है और जिसे अब जागृत होना आवश्यक है.
- पढो, लिखो, कर्म करो, आगे बढो, कष्ट सहन करो, एकमात्र मातृभूमि के लिए, माँ की सेवा के लिए.
- एकता स्थापित करने वाले सच्चे बन्धु हैं.
- कला अतिसूक्ष्म और कोमल है. अतः अपनी गति के साथ यह मस्तिष्क को भी कोमल और सूक्ष्म बना देती है.
- जिसमें फूट हो गई है और पक्ष भेद हो गए हैं, ऐसा समाज किस काम का ? आत्मप्रतिष्ठा और आत्मा की एकता की मूर्ति का समाज चाहिए. अलग रह कर जितना काम होता है, उससे सौ गुना संघशक्ति से होता है.
Quotes by Sri Aurobindo
- अब हमारे सारे कार्यों के लक्ष्य मातृभूमि की सेवा ही होनी चाहिए. आपका अध्ययन, मनन, शरीर ,मन और आत्मा का संस्कार सभी कुछ मातृभूमि के लिए ही होना चाहिए. आप काम करो, जिससे मातृभूमि समृद्ध हो.
- मेरा हर काम अपने लिए न होकर देश के लिए ही है, मेरा हित एवं मेरे परिवार का हित देशहित में ही निहित है.
- धन को विलास के लिए खर्च करना एक प्रकार से चोरी होगी. वह धन असहायों और जरूरतमन्दों के लिए है.
- तुम लोग जड़ पदार्थ, मैदान, खेत, वन-पर्वत आदि को ही स्वदेश कहते हो, परन्तु मैं इसे ‘माँ’ कहता हूँ.
- जिसमें त्याग की मात्रा, जितने अंश में हो, वह व्यक्ति उतने ही अंश में हो, वह व्यक्ति उतने ही अंश में पशुत्व से ऊपर है.
- पढो, लिखो, कर्म करो, आगे बढो, कष्ट सहन करो, एकमात्र मातृभूमि के लिए, माँ की सेवा के लिए.
- गुण कोई किसी को नहीं सिखा सकता. दूसरे के गुण लेने या सीखने की जब भूख मन में जागती है, तो गुण अपने आप सीख लिए जाते हैं.
- यदि तुम किसी का चरित्र जानना चाहते हो तो उसके महान कार्य न देखो, उसके जीवन के साधारण कार्यों का सूक्ष्म निरीक्षण करो.
- भारत की एकता, स्वाधीनता और उन्नति सहज साध्य हो जाएगी, भाषा की रक्षा करते हुए साधारण भाषा के रूप में हिन्दी भाषा को ग्रहण कर उस बाधा को दूर करेंगें.