Masturbation Effects – हस्तमैथुन छोड़ने के फायदे
Masturbation Effects – हस्तमैथुन छोड़ने के 35 फायदे (Excessive Masturbation Effects ), जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते है. जो लोग लगातार हस्तमैथुन करते है उनके दिमाग पर (masturbation effect on brain ) या बॉडी पर (masturbation effects on kidney) बुरा असर होता है, लेकिन जब आप Hastmaithun छोड़ने का निर्णय ले लेते हो तो आपको Masturbation Effects छुटकारा पा सकते है, और आप एक बेहतर इन्सान तो बनते ही है साथ में आप अपनी लाइफ में अपार सफलता भी प्राप्त कर लेते है.
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हस्तमैथुन छोड़ने के फायदे
- हस्तमैथुन छोड़ने क सबसे बड़ा फायदा यह है की आप हमेशा अपने अंदर एक बहुत बड़ी एनर्जी को फील कर पाते हो, आपको किसी भी काम को करने में कोई कमजोरी नहीं आती और आप हर समय खुश रहने लगते हो.
- हो सकता है कि आपको भान होने लगे कि Penic Is Private, Wife Is A Personal Property, आपका लिंग आपकी पत्नी की निजी सम्पत्ति है, यह अंग भले ही आपका हो किन्तु इस पर अधिकार केवल पत्नी का होता है, विवाह तक उसे पत्नी के लिये सँभालो, अर्थात् जैसा कि आयुर्वेद में कहा ही जा चुका है कि विवाहपूर्व गुप्तांगों को मूत्रांग ही मानना चाहिए, मैथुन अंग नहीं।
- मास्टरबेशन छोड़ने के बाद आपका ध्यान शिष्न के आकार-प्रकार के विचार की ओर उतना नहीं जायेगा।
- मास्टरबेशन छोड़ने के बाद आपको पूर्ण ब्रह्मचर्य की ओर बढ़ने में सरलता हो जायेगी।
- नारीदेह के प्रति पहले जैसे कुविचार कम होकर खत्म होने लगेंगे। अब परनारियों को उपभोग-वस्तु समझने का नज़रिया शायद बदलने लगे।
- लैंगिक कमज़ोरियाँ दूर होने लगेंगी। कामुक विचार व कृत्यों से हुई व हो रही मानसिक, शारीरिक व मनोजैविक इत्यादि विकृतियों में कमी आयेगी।
- मूत्र के साथ अथवा मूत्रोत्सर्ग के आसपास वीर्य अथवा ऐसा कोई तरल निकलना कम या बंद हो जायेगा।
- मानसिक-शारीरिक थकान घटेगी तथा मन में उत्साह जगेगा एवं ताज़गी आयेगी।
- मानसिक द्वंद्व से मुक्ति मिल सकेगी।
- अब लिंग में सूजन अथवा वीर्य-भराव जैसी मिथ्या अनुभूति होनी बन्द हो जायेगी।
Excessive Masturbation Effects
- स्वप्नदोष इत्यादि की आशंकाएं निष्चय ही कम होती जायेंगी।
- वीर्य निकालने से होने वाली आत्मग्लानि अब न होगी।
- वीर्य निकालने से निकल जाने वाले ढेरों पोषक तत्त्व – प्रोटीन्स व विटामिन्स इत्यादि शरीर के भीतर ही अब पुनःअवशोषित हो जायेंगे, अर्थात् इस प्रकार पोषकों की बर्बादी बन्द।
- स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को लैंगिक दृष्टि की संकुचित दृष्टि से देखने का रवैया अब बदल सकता है, अब समझ में आ सकता है कि इनके मध्य सम्बन्ध अलैंगिक हो सकते हैं।
- नेत्र व त्वचा इत्यादि ज्ञान इन्द्रियाँ व कर्म इन्द्रियाँ अब काममुक्त होकर तुलनात्मक रूप से स्वच्छ रहने लगेंगी।
- मन काम के बाणों से अप्रभावित रहना सीखने में सफल होने लगेगा।
- अब आपकी ऊर्जा अधोगामी व निम्नगामी होने के बजाय ऊध्र्वगामी हो सकेगी। अपने व दूसरों के शरीरों के गोपनीय अंगों की ओर देखने अथवा सोचने की प्रवृत्ति भी कुछ थमेगी।
- अन्य स्त्री-पुरुषों के शारीरिक रूपरंग इत्यादि की ओर ध्याना आकर्षित होने की सम्भावना पहले से कम हो जायेगी।
- शिक्षा में प्रगति अथवा कार्यस्थल में जो गुणवत्ता अथवा उत्पादकता क्षीण हो रही थी उस पर अंकुश लगेगा। हाथ मैथुन को छोड़ ज़िम्मेदारियाँ उठानी सीख सकेंगे एवं पाँव सुपथ की ओर बढ़ पायेंगे।
- पोर्न इत्यादि नकारात्मक छवियों व दृष्यादि की ओर ध्यानाकर्षण घटेगा, ये सभी विष रूपी विषय परस्पर सम्बद्ध रहते हैं, हर एक विषय दूसरे को खींचता है एवं मनुष्य को उसमें धँसा देता है।
- आप पहले की अपेक्षा अब अपनी अन्तरात्मा की सुनने लगेंगे।
- मन अब पहले जितनी सरलता से नहीं भटका पायेगा।
- आत्मविश्वास बढ़ेगा तथा अपनी संकल्प-शक्ति का आभास होगा।
- आत्मसम्मान में अभिवृद्धि होगी।
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- अनैतिकता रूपी दलदल से निकलकर नैतिकता की शुद्धता अनुभव होने लगेगी।
- बाल्यकाल अथवा किशोरावस्था की कुसंगतियों की नकारात्मकताओं का भान होने लगेगा।
- ग़लत दिशा में ले जाने वाले एवं सही दिशा से भटकाने वाले पूर्वाग्रह टूटेंगे।
- इस निरर्थकता को छोड़ने से आपकी रचनात्मकता बढ़ेगी।
- अब आपका मन व शरीर कामवासनाओं के बहकाव एवं विचलन से दूर रह चैन से सो पायेगा तथा दिन में भी कामविषय नहीं घूम रहे होंगे।
- नींद अपेक्षाकृत सरलता से लग पायेगी एवं प्रातः उठकर एक निश्चिन्त व अच्छी अनुभूति होगी।
- स्वविवेक विकसित होने के साथ आत्म-जागरण के मार्ग पर बढ़ने में कुछ सहायता हो जायेगी।
- अब आपको इस वास्तविकता का बोध हो सकता है कि मैंने जीवन में आज तक प्रति सप्ताह व प्रतिमाह कितना समय, ध्यान, ऊर्जा व श्रम इनसबमें खपा दिया, काश ! किन्हीं पवित्र ध्येयों में अपनी ऊर्जाएँ लगायीं होतीं, अब से मैं इन सबसे दूर अच्छे सोच-विचार व सद्कार्यों में ध्यानादि लगाऊँगा।
- मन कामुकता की गंदगियों से मुक्त होगा तो आत्मोत्थान में निखार आने लगेगा, हो सकता है कि आपको इस सत्य की अनुभूति होने लगे कि इन सबमें कुछ नहीं रखा. ईश्वर ने आपको किसी पुनीत पर्पस से धरती पर भेजा है।