भारतीय पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा, अंटार्कटिका की सबसे ऊँची चोटी पर जाने वाली विश्व की पहली दिव्यांग महिला हैं-
अरुणिमा सिन्हा ने इतिहास में अपना नाम तब दर्ज किया जब वह 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला बनीं। अब उन्होंने अंटार्कटिका, माउंट विंसन की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़कर अपनी योग्यता को फिर से साबित किया है।
उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर जिले के भारत भारती संस्था ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली इस विकलांग महिला को सुल्तानपुर रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किये जाने की घोषणा की। सन 2016 में अरुणिमा सिन्हा को अम्बेडकर नगर रत्न पुरस्कार से अम्बेडकर नगर महोत्सव समिति की तरफ से नवाजा गया ।
अरुणिमा सिन्हा, जो पद्म श्री पुरस्कार विजेता भी है, ने इंटरनेट के साथ गर्व के क्षण को शेयर करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। वे लिखती है –
“इंतज़ार खत्म हुआ। हमें आपके साथ विश्व रिकॉर्ड शेयर करते हुए बहुत खुशी हो रही है। माउंट विंसन (अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी) पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला हमारे देश भारत के नाम हो गई है।
अरुणिमा का सपना है की वे हर महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों पर चढे और राष्ट्रीय ध्वज फहराए।
अरुणिमा अब तक एवरेस्ट इन एशिया, अफ्रीका में किलिमंजारो, यूरोप में एल्ब्रुस, ऑस्ट्रेलिया में कोसिज़को, अर्जेंटीना में एकॉनकागुआ (दक्षिण अमेरिका), इंडोनेशिया में कार्स्टेंस पिरामिड (पुण्यक जया) के अलावा वह 5 चोटियों पर पहुँच चुकी है।
अरुणिमा एक राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल और फुटबॉल खिलाड़ी है | 2011 में उनका एक एक्सीडेंट हुआ उसी एक्सीडेंट में उन्होंने अपना पैर खोया। 12 अप्रैल 2011 को दिल्ली के लिए लखनऊ में पद्मावती एक्सप्रेस ट्रेन में चढ़ते वक़्त, लुटेरों ने उन्हें धक्का दे कर बाहर कर दिया और उनका बैग और सोना चुराने की कोशिश की ।
अपनी उस दर्दनाक घटना को याद करते हुए अरुणिमा कहती है-
“मैं अभी भी कई बार अपने शरीर में दर्द महसूस करता हूं। मेरे पैर में एक प्लेट और एक रॉड डाली गई है।”
लेकिन ये सब चीजे उन्हें सपने देखने और उन सपनों को साकार करने से नहीं रोकती है, सलाम है उनको jiohind की तरफ से, उनकी कहानी हम सभी के लिए बहुत प्रेरणात्मक है ।