जैसलमेर किले का इतिहास – History of Jaisalmer Fort
Sonar Fort Jaisalmer – सोनार किला (Sonar Kila) भारत के सबसे बड़े किलों (Largest Forts in India) में से एक ऐतिहासिक (History of Jaisalmer Fort) धरोहर है।
भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर (History of Jaisalmer Fort) हैं, जिन्हें उनकी अद्भुत बनावट और अनोखी वास्तुशिल्प के चलते विश्व धरोहरों की लिस्ट में शुमार किया गया है। वहीं ऐसा ही एक किला राजस्थान में स्थित है जैसलमेर का किला (Sonar Fort Jaisalmer) जो अलग-अलग विशेषताओं की वजह से जाना जाता है।
सोनार किला – Sonar Fort (Sonar kila)
इस किले (Sonar Fort) के अंदर बेहद आर्कषक और खूबसूरत हवेलियां, बड़े-बड़े भवन, व्यापारियों और सैनिकों के सुंदर आवासीय परिसर एवं भव्य मंदिर बने हुए हैं। जो कि इस किले को अन्य किलों से अलग पहचान दिलवाती हैं। इस किले (Sonar Kila) के चारों ओर 99 गढ़ बने हुए हैं, और इसकी ऊंचाई लगभग 30 मीटर है, इसीलिए यह किला दिखने में काफी विशाल (Largest Forts in India) लगता है।
इस किले (Sonar Fort) की आकर्षिता का अंदाजा लगाना वैसे तो बहुत मुश्किल है, क्योंकि इस किले को बनाया ही कुछ इस तरह से गया है। इसके प्रथम प्रवेश द्वार पर पत्थर की गई नक्काशी का शानदार नमूना बना हुआ है, जो कि पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षण करता है। दूसरा इस किले में दशहरा चौक भी प्रयटकों के लिए खास दर्शनीय स्थल बना हुआ है। यहां पर आप खूबसूरत दुकानों में जाकर खरीददारी का आनंद भी ले सकते हैं।
कुछ समय पहले इस महल के एक हिस्से को म्यूजियम के रूप में बना दिया गया है। म्यूजियम में प्रवेश होने के लिए भारतीयों के लिए 50 रुपए और विदेशियों के लिए 300 रुपए का टिकट लगता है।
किले (Sonar Fort) के आकर्षणों में सात जैन मंदिर भी शामिल हैं। इन मंदिरों में सबसे भव्य मंदिर जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। पार्श्वनाथ मंदिर के अलावा चंद्रप्रभु मंदिर, रिषभदेव मंदिर, संभवनाथ मंदिर आदि भी किले में बने हुए हैं।
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जैसलमेर किले का इतिहास – History of Jaisalmer Fort
भारत यह विशाल जैसलमेर का किला (Sonar Fort Jaisalmer) राजस्थान के जैसलमेर में थार मरुस्थल के त्रिकुटा पर्वत पर बना हुआ है। इस किले को 1156 ईसवी में एक राजपूत योद्धा ”रावल जैसल” द्धारा बनवाया गया था। यह किला कई महत्वपूर्ण और (History of Jaisalmer Fort) ऐतिहासिक लड़ाईयों की भी ग्वाही देता है। हालांकि, इस किले के निर्माण को लेकर कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं।
इतिहासकारों के मुताबिक (History of Jaisalmer Fort) गौर के सुल्तान उद-दीन मुहम्मद ने अपने प्रदेश को बचाने के लिए राजपूत शासक रावल जैसल को अपने एक षड्यंत्र में फंसा लिया और उन पर आक्रमण कर दिया और फिर उनके किले पर अपने डोरे डालकर इसे लूट लिया।
इसके साथ ही उन्होंने उस किले में रह रहे लोगों को जबरन बाहर निकाल दिया, एवं उस किले को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। जिसके बाद सम्राट जैसल ने त्रिकुटा के पहाड़ पर एक नया किला बनाने का फैसला लिया, इसके लिए उन्होंने पहले जैसलमेर शहर की नींव रखीं और फिर उसे अपनी राजधानी घोषित किया।
1293-1294 ईसवी में राजा जैसल का उस समय दिल्ली की सल्तनत संभाल रहे सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें राजापूत शासक रावल को पराजय का सामना करना पड़ा, वहीं उनकी इस हार के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने जैसलमेर के किला (Sonar Kila) पर अपना कब्जा कर लिया और करीब 9 साल तक अलाउद्दीन खिलजी का इस किले में अपना शासन करता रहा।
इसके बाद जैसलमेर किला (Sonar Fort) पर दूसरा हमला मुगल सम्राट हुमायूं के द्धारा 1541 ईसवी में किया गया। वहीं राजा रावल ने मुगल शासकों की शक्ति और ताकत को देखते हुए मुगलों से दोस्ती करने का फैसला लिया, और मुगलों के साथ अपने रिश्ते अच्छे करने के लिए राजा रावल ने अपनी बेटी का विवाह मुगल सम्राट अकबर के साथ करवा दिया।
इस किले पर 1762 ईसवी तक मुगलों का शासन रहा। फिर इसके बाद जैसलमेर के किले (Sonar Kila) पर महाराज मूलराज ने अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया, वहीं 1820 ईसवी में मूलराज की मौत के बाद उनके पोत गज सिंह ने जैसलमेर की इस भव्य किला पर अपना कब्जा किया।
History of Jaisalmer Fort – भारत-पाक के बीच यह युद्द जैसलमेर में लड़ा गया, ऐसे में इस युद्ध के दौरान वहां के लोगों की सुरक्षा को लेकर जैसलमेर की पूरी आबादी को इस भव्य किले के अंदर भेजने का फैसला लिया गया।
दरअसल, जैसलमेर का किला इतना (Largest Forts in India) भव्य और विशाल है कि इस किले (Sonar Kila) में उस समय करीब 4 हजार से भी ज्यादा लोग आ सकते थे। तो इस तरह जैसलमेर के किले ने भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में जैसलमेर के लोगों को शरण देकर उनकी जान की रक्षा कर अपनी महानता प्रकट की है।
जैसलमेर के किले तक कैसे पहुंचे – How To Reach Jaisalmer Fort
इस भव्य जैसलमेर के किला (Sonar Fort Jaisalmer) तक सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों के माध्यमों से पहुंचा जा सकता है। यह तीनों मार्गों से बेहद अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए कई निजी और सरकारी बस सेवाएं भी हैं। यहां दो मुख्य बस स्टैंड बने हुए हैं। इसके अलावा कई ट्रेन जैसलमेर के रास्ते से जाती है। जिससे पर्यटक आसानी से यहां सार्वजनिक या फिर अपने निजी वाहनों से पहुंच सकते हैं।