Sex Education in Schools – बच्चों को जरूर दें यौन शिक्षा की जानकारी
बच्चों को जरूर दें यौन शिक्षा (Sex Education) की जानकारी. इस पोस्ट में आप जानेगे यौन शिक्षा का महत्व (Importance of Sex Education) क्या है और साथ ही युवाओं के लिए (Sex Education for Youth) भी यौन शिक्षा की आवश्यकता क्यों है।
सेक्स का सही ज्ञान उतना ही जरूरी है, जितना कि दूसरे विषयों का ज्ञान। हमारे देश में मेडिकल कॉलेज तक में सेक्स एजुकेशन नहीं दिया जाता, जिसके परिणामस्वरूप सेक्स संबंधी अंधविश्वास, भ्रांतियां और इससे जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
यह कहना है एसोसिएशन ऑफ सेक्सुअलिटी एजुकेटर्स, काउंसलर्स एवं थेरेपिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ. महेश नवाल का। उनका कहना है कि यदि सही उम्र में यौन शिक्षा दी जाए तो किशोर मातृत्व, अनचाहे गर्भ, यौन अपराध, गुप्त रोग तथा एड्स जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही सेक्स संबंधी समस्याएं जैसे- हस्तमैथुन से उत्पन्न अपराधबोध, नपुंसकता, स्वप्नदोष, धातु रोग और लिंग के आकार को लेकर विभिन्न भ्रांतियों से भी आसानी से मुक्त हुआ जा सकता है।
Sex Education – यौन शिक्षा का महत्व
यौन शिक्षा एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग मानव यौन शरीर रचना, यौन प्रजनन, संभोग और मानव यौन व्यवहार के बारे में शिक्षा के माध्यम से वर्णन किया जाता है। यौन शिक्षा के कुछ रूप कई स्कूलों में पाठ्यक्रम का हिस्सा है। यह कई देशों में एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है, विशेष रूप से उस उम्र में जिसमें बच्चों को मानव कामुकता और व्यवहार के विषय में शिक्षा मिलनी शुरू हो जानी चाहिए। ताकि इस उम्र में हो रहे बदलावों को सहजता से स्वीकार करने के लिए किशोरों को तैयार किया जा सके।
Importance of Sex Education
अंग्रेजी राज की उपेक्षा दृष्टि के फलस्वरूप भारत में शिक्षा का प्रचार बहुत कम है | जो कुछ पढ़े लिखे व्यक्ति है वे भी प्राय: शहरों के रहने वाले है | देहातो में तीन प्रतिशत भी किसान शिक्षित नही | इन लोगो को शिक्षा दिए बिना भारत कभी भी सभ्य देश नही बन सकता क्योंकि यह कृषि प्रधान देश है और कृषि का सारा भार किसानो के ही हाथ में है | साथ ही अब भारत में प्रजातंत्र का विकास हो चूका है और प्रजातंत्र में जनता को शिक्षित होना अत्यावशक है |
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वर्ष 2007 में भारत सरकार ने किशोर शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका लगातार विरोध होता रहा। कुछ राज्यों ने तो इसे प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद यह कार्यक्रम कुछ चुनिंदा सरकारी और निजी स्कूलों में लागू किया गया। हालांकि, अब ये समझने की जरूरत है कि इस विषय से हिचकिचाने से काम नहीं चलेगा। अगर बच्चों को सही यौन शिक्षा नहीं दी गई तो लिंग आधारित हिंसा, लिंग असमानता, प्रारंभिक और अनपेक्षित गर्भधारण, एचआईवी और अन्य यौन संचारित संक्रमण बढ़ते जाएंगे और रोकना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में जरूरी है कि स्कूल में सिर्फ अध्यापक ही नहीं बल्कि माता-पिता भी झिझक को दूर रखकर अपने बच्चे से इस विषय पर बात करें।आगे की स्लाइड में जानें आखिर क्यों इतनी महत्वपूर्ण है यौन शिक्षा।
बढ़ते लोगों की संख्या के कारण ही प्रौढ़ शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद से अलग कर एक नई संस्था में तब्दील कर दिया गया। जैसा की नाम से ही पता चलता है की प्रौढ़ शिक्षा का मुख्य उद्देश्य उन लोगों तक शिक्षा को पहुँचाना है जो अपने बचपन में पढ़ाई पूरी नहीं कर पाये। सरकार ने ऐसे लोगों के लिए नए विद्यालयों की स्थापना की है ताकि उनको बुनियादी शिक्षा या पेशेवर शिक्षा दे पाये।
Sex Education for Youth – युवाओं को व्यापक यौन शिक्षा की आवश्यकता क्यों है
जब बचपन से वयस्कता में परिवर्तन करते हैं तो बहुत से युवाओं को रिश्तों और सेक्स के बारे में भ्रमित और गलत जानकारी होती है। इसी कारण विश्वसनीय जानकारी की मांग बढ़ी है, जो उन्हें एक सुरक्षित, उत्पादक और पूर्ण जीवन के लिए तैयार करता है।
जब बच्चों को सही जानकारी उप्लब्ध कराने में व्यापक यौन शिक्षा मददगार होगी। ये युवाओं को रिश्तों और कामुकता के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है और एक ऐसी दुनिया को निर्माण होने से रोकता है, जहां लिंग आधारित हिंसा, लिंग असमानता, प्रारंभिक और अनपेक्षित गर्भधारण, एचआईवी और अन्य यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) अभी भी उत्पन्न होते हैं।
समान रूप से, उच्च-गुणवत्ता, उम्र और विकास उचित रूप से यौन शिक्षा की कमी बच्चों और युवाओं को हानिकारक यौन व्यवहार और यौन शोषण की चपेट में छोड़ सकती है।व्यापक यौन शिक्षा बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य और भलाई को संबोधित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
व्यापक यौन शिक्षा न केवल बच्चों और युवाओं को मानव अधिकार, लिंग समानता, रिश्तों, प्रजनन, यौन व्यवहार के जोखिमों और बीमार स्वास्थ्य की रोकथाम पर आयु-उपयुक्त शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि लैंगिकता को प्रस्तुत करने का अवसर भी प्रदान करता है। एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, सम्मान, समावेश, गैर-भेदभाव, समानता, सहानुभूति, जिम्मेदारी और पारस्परिकता जैसे मूल्यों पर जोर देता है।